ISO 9001:2015

खेती में स्त्रियों की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा

गीता मीणा (Geeta Meena)

पोषण मानव की एक मूलभूत आवश्यक आवश्यकता है। स्वस्थ और समृद्ध जीवन जीने के लिए व्यक्ति अपनी पोषण संबंधी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति आवश्यक रूप से करे तथा संबंधित ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन, वसा और खनिज लवणों, जल से परिपूर्ण आवश्यकतानुसार और सुरक्षित भोजन का सेवन करे। स्त्रोतः रोम में जून 2002 में आयोजित विश्व खाद्य शिखर सम्मेलन पांच वर्ष बाद में सयुक्त महासचिव कोफी अन्नान के वक्तवय के अनुसार “भूख मानव की मर्यादा का वीभत्स उल्लंघन है। प्रयुरतापूर्ण विश्व में, भूख को समाप्त करना करना हमारे हाथ में है। प्रगतिशील समय में हमें हम अपना पूर्व में किया गया वायदा पूरा करना है - धरती से भूख का उन्मूलन।“ भोजन में पोषक तत्त्वों के दीर्घकालिक अभाव के परिणाम स्वरूप मानव में विभिन्न शारीरिक एवम् मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती है। यह बालकों के विकास को प्रभावित करती है, जिससे समाज को अग्रसर बढ़ाने वाली युवा पीढ़ी का विकास कम होता है, जिससे देश का उन्नत विकास भी पिछड़ता जाता है और यदि हम खाद्य प्रदार्थों में पोषण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, सभी मानव को पोषण उपलब्ध करवाते हैं तो स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मानसिकता के साथ ही समाज व राष्ट्र का भी विकास एवम् प्रगति उन्नतिशील होगी।

शब्दकोशः खाद्य, पोषण समृद्ध, उन्नत विकास, प्रगति, उन्नतशील।


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