यह आलेख महात्मा गांधी के संचार प्रयोगों की ऐतिहासिक और सैद्धांतिक पड़ताल करता है और यह विश्लेषण करता है कि किस प्रकार उनका संवाद मॉडल केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तक सीमित न रहकर वैश्विक मानवाधिकार आंदोलनों, शांति प्रयासों और नैतिक राजनीति का मार्गदर्शक बना। आलेख में पत्र-लेखन, पिं्रट मीडिया, संवाद शैली और डिजिटल युग में गांधीवादी संचार की प्रासंगिकता को उदाहरणों सहित प्रस्तुत किया गया है। यह लेख दर्शाता है कि गांधी का संवाद एक जीवित नैतिक विरासत है, जो आज भी विश्व संवाद की आत्मा बना हुआ है।
शब्दकोशः गांधीवादी संचार, अहिंसा, सत्य, वैश्विक प्रभाव, संवाद दर्शन, शांति प्रयास, डिजिटल नैतिकता।