यह शोधपत्र ”जयपुर जिले के पर्यावरण पर पर्यटन का प्रभावः एक भौगोलिक अध्ययन” विषय पर आधारित है, जिसका मुख्य उद्देश्य पर्यटन से उत्पन्न होने वाले पर्यावरणीय प्रभावों का विश्लेषण करना है। जयपुर जिला, जो अपनी ऐतिहासिक धरोहरों, किलों, महलों, झीलों और सांस्कृतिक विविधता के लिए विश्वविख्यात है, प्रत्येक वर्ष लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। पर्यटन के बढ़ते दबाव ने जिले के प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरणीय संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। अनियंत्रित शहरीकरण, अपशिष्ट प्रबंधन की कमी, जल स्रोतों का दूषण, वायु प्रदूषण, जैव विविधता में गिरावट और भूमि उपयोग पैटर्न में परिवर्तन जैसे प्रभाव स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। इस अध्ययन में क्षेत्रीय सर्वेक्षण, पर्यटकों और स्थानीय निवासियों से लिए गए साक्षात्कार, तथा उपग्रह चित्रों एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। शोध का निष्कर्ष यह दर्शाता है कि यदि वर्तमान पर्यटन विकास की गति इसी प्रकार अनियंत्रित रूप से जारी रही, तो भविष्य में जयपुर जिले के पर्यावरणीय ढांचे पर गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है। इस शोध के माध्यम से यह सुझाव दिया गया है कि सतत पर्यटन विकास (ैनेजंपदंइसम ज्वनतपेउ क्मअमसवचउमदज) को बढ़ावा दिया जाए, जिसमें पर्यावरणीय संरक्षण, स्थानीय सहभागिता और दीर्घकालिक योजना की विशेष भूमिका हो। यह अध्ययन पर्यटन और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में कार्य कर सकता है।
शब्दकोशः पर्यटन प्रभाव, पर्यावरणीय संतुलन, भौगोलिक विश्लेषण, जयपुर जिला, सतत पर्यटन विकास।