राम के आदर्श चरित्रवान व्यक्तित्व की खोज में रामायण का जन्म हुआ। रामायण के चरित्र को हृदय में धारण कर वाल्मीकि ने साहित्य की जिस सलिल गंगा की अवतारणा की परवर्ती युग में उसमें अनेक कवि स्नान करके धन्य हो गए रामायण मूलतरू राम के जीवन की काव्यमय प्रस्तुति है। इस ग्रंथ में 24000 श्लोक है। इसलिए इसे “चतुविंशति सहिता” कहां गया है। राम की यशोगाथा को उनके जन्म से मृत्यु पर्यंत तक सात कांडों में निबद्ध किया है- बालकांड, अयोध्या कांड, अरण्यकांड, किष्किंधा कांड, सुंदरकांड, लंका कांड, उत्तरकांड।