जीवन के प्रत्येक स्तर पर लय का विषेष स्थान होता है। मानव षरीर की गतिविधियाँ भी एक निष्चित लय में संचालित होती हैं, जो व्यक्तिगत जीवन षैली को प्रभावित करती हैं। प्रस्तुत षोध पत्र में लय, नृत्य और संगीत के आपसी संबंधों को स्पष्ट किया गया है। नृत्य और संगीत में भी लय का अत्यधिक महत्व है। प्रस्तुत लेख संगीत में प्रयुक्त होने वाली महत्वपूर्ण पक्ष लय की सार्थकता को सिद्ध करने का प्रयास करता है। पंडित बिरजू महाराज जी ने अपने आस-पास के वास्तविक परिदृष्य से जोड़ते हुए नृत्य का वर्णन इस प्रकार किया है- प्रकृति में भी एक स्वभाविक लय मौजूद होती है। यह लेख केवल संगीत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण ब्रह्मांड में विद्यमान है। लय नृत्य की आत्मा है, जो नृत्य को जीवित रखती है। लय के बिना नृत्य एक मृत षरीर के समान होता है।
शब्दकोशः संगीत, नृत्य, ताल, लय, ब्रह्मांड, मूर्तिकला, चित्रकला।