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जैन धर्म में महिलाओं की स्थिति

अमृता जैन एवं डॉ. संध्या शर्मा (Amrita Jain & Dr. Sandhya Sharma)

जैन धर्म विशेषकर भारतीय सांस्कृतिक भूमि पर समृद्धि कर रहा है, और इसमें स्त्री शिक्षा को लेकर एक विशेष दृष्टिकोण है। स्त्री शिक्षा की स्थिति जैन धर्म में उच्च मानी जाती है और इसे समाज के विभिन्न पहलुओं में आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है। जैन धर्म में स्त्रीयों को धार्मिक और सामाजिक शिक्षा का समान अधिकार है, और उन्हें धार्मिक ग्रंथों और तत्त्वों का शिक्षण दिया जाता है। यहां तक कि वीर या तीर्थंकर की उपासना और /यान में भी स्त्रीयों को समाहित किया गया है। जैन साहित्य में विभिन्न युगों में जैन सा/िवयों और यतियों ने शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान के मा/यम से स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहित किया है। हालांकि, स्त्रीयों के पूजन, उनकी महत्ता को समझने में और उन्हें शिक्षित बनाने में भी जैन समुदाय अब भी चुनौती का सामना कर रहा है, लेकिन धार्मिक प्रवृत्तियों में सुधार की प्रक्रिया जारी है। समाप्त में, जैन धर्म ने स्त्री शिक्षा को समाज में समाहित करने के लिए कठिनाईयों का सामना किया है, लेकिन इसके प्रमाणों से प्रतिबद्ध है कि धार्मिक साहित्य और समुदाय उन्हें उच्चतम शिक्षा का हकदार मानते हैं और स्त्रीयों को समृद्धि, धर्म, और दान के क्षेत्र में सक्षम बनाने का समर्थन करते हैं।
शब्दकोशः स्त्री शिक्षा, जैन धर्म, शिक्षा, जैनदर्शन।
 


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