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शिक्षण-प्रषिक्षण महाविद्यालयों में बदलती शिक्षण पद्धति का शिक्षकों की शिक्षण दक्षता पर प्रभाव

बीना सिंह एवं डॉ. हरीश कंसल (Beena Singh & Dr. Harish Kansal)

मनुष्य का सर्वांगीण विकास षिक्षा पर आधारित व केन्द्रित होता है। शिक्षा उसके विभिन्न गुणों को प्रभावित करती है। किसी भी विद्यार्थी के अन्दर इस प्रकार के गुणों का विकास करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका एक शिक्षक की ही होती है। विद्यार्थी के अन्दर इन सभी गुणों का विकास करने वाला शिक्षक एक दक्ष शिक्षक कहलाता है। किसी व्यक्ति की गुणवत्ता तथा समाज में उसकी भूमिका को उसकी शिक्षा  प्रभावित करती है तथा विद्यार्थी में ये गुण उसके शिक्षक की दक्षता व उसके अध्यापन  के प्रति समर्पण के आधार पर आती है। यानि कह सकते हैं कि जितना दक्ष व समर्पित शिक्षक होगा उतना ही गुणवान व महत्वपूर्ण व्यक्तित्व उसके विद्यार्थी का होगा। प्रायः विद्यार्थियों को शिक्षा विद्यालयों, महाविद्यालयों से मिलती है तथा उनकी क्षमता व प्रभावषीलता वहां कार्य करने वाले शिक्षकों पर निर्भर करती है। वहाँ के शिक्षक जितने दक्ष होंगे उनके व विद्यार्थियों के मध्य सम्बन्ध उतने ही मधुर होंगे तथा जितने मधुर उनके सम्बन्ध उतना अच्छा व विकसित महाविद्यालय होगा। एक दक्ष शिक्षक वहीं होता है जो कि अपनी अ/यापन शैली से विद्यार्थी की क्षमता का विकास करता है।
शब्दकोशः शिक्षक-प्रषिक्षण, प्रभावषीलता, गुणवत्ता , दक्षता, अध्यापन शैली।


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