पाली जिला, राजस्थान का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहाँ कृषि का स्वरूप पिछले कुछ दशकों में उल्लेखनीय रूप से बदला है। परंपरागत रूप से यह क्षेत्र वर्षा आधारित कृषि पर निर्भर था, जिसमें मुख्यतः बाजरा, ज्वार, गेहूं, चना, और सरसों जैसी खाद्य फसलें उगाई जाती थीं। हालांकि, जलवायु परिवर्तन, आधुनिक कृषि तकनीकों की उपलब्धता, सरकारी योजनाओं और किसानों की बदलती प्राथमिकताओं के कारण कृषि प्रणाली में व्यापक बदलाव देखने को मिले हैं। अब किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ नकदी फसलों जैसे जीरा, इसबगोल, और सब्जियों की खेती की ओर भी बढ़ रहे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है। सिंचाई प्रणाली में सुधार, विशेष रूप से ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी तकनीकों को अपनाने से जल संरक्षण संभव हुआ है, जिससे खेती अधिक टिकाऊ बन सकी है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, और किसान क्रेडिट कार्ड योजना जैसी सरकारी योजनाओं ने किसानों को आर्थिक सहायता और संसाधन उपलब्ध कराए हैं, जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है। आधुनिक कृषि यंत्रीकरण, उन्नत बीजों का उपयोग, जैविक खेती की ओर बढ़ती प्रवृत्ति, और कृषि विपणन संरचना में सुधार ने इस क्षेत्र की कृषि प्रणाली को नया रूप दिया है। इन परिवर्तनों से न केवल कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ किया गया है। हालांकि, भूजल स्तर में गिरावट, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, और कृषि निवेश लागत में वृद्धि जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं, जो इस क्षेत्र में कृषि की स्थिरता के लिए एक गंभीर चिंता का विषय हैं। इस शोधपत्र में पाली जिले में कृषि के बदलते स्वरूप का गहन अध्ययन किया गया है, जिसमें कृषि नीतियों, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, तकनीकी नवाचारों, और किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया गया है। यह अध्ययन कृषि क्षेत्र में सतत विकास के लिए नई रणनीतियों और नीतियों को विकसित करने में सहायक सिद्ध होगा, जिससे पाली जिले की कृषि को अधिक लाभकारी और टिकाऊ बनाया जा सके।
शब्दकोशः कृषि परिवर्तन, नकदी फसलें, जलवायु परिवर्तन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, जैविक खेती, यंत्रीकरण।
Article DOI: 10.62823/IJEMMASSS/7.1(II).7275