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”वैश्विक भूगोल पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव” एक भौगोलिक अ/ययन

डॉ. पूजा व्यास (Dr. Pooja Vyas)

जलवायु परिवर्तन वर्तमान समय का सबसे गंभीर विषय बना हुआ है। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन वैश्विक समाज के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। जिस पर तत्काल /यान देने और सामूहिक कार्यवाही की आवश्यकता है। जिससे आज सम्पूर्ण विश्व की भौगोलिक ईकाइयाँ व गतिविधियाँ प्रभावित हो रही हैं। आंकड़े दर्शाते है कि 19वीं सदी के अन्त तक पृथ्वी की सतह का औसत तापमान लगभग 1.62 थ् (अर्थात लगभग 0.90 सेल्सियस) बढ़ गया है। इसके अतिरिक्त पिछली सदी से अब तक समुद्र के जलस्तर में भी लगभग 8 इन्च की वृद्धि आंकी गई है। यह अनुमान है कि विश्व के विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन से जल व खाद्यान्न की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जिसका प्रभाव स्वास्थ्य पर भी देने लगा है। इसके अतिरिक्त आज वैश्विक जलवायु मानवीय गतिविधियों के कारण तेजी से गर्म हो रही है जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ रहा हैै। यह शोधपत्र जलवायु परिवर्तन का विभिन्न जल संसाधनों, भू आकृतियों पर प्रभाव तथा विभिन्न अनुकूलन रणनीतियों को विस्तार से प्रस्तुत करता है जिससे वैश्विक भूगोल पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव को कम कर भविष्य की ओर अधिक सुनिश्चित किया जा सके।
शब्दकोशः जलवायु परिवर्तन, वैश्विक भूगोल, भौगोलिक अ/ययन, वैश्विक समाज, ग्रीनहाउस गैस।


DOI:

Article DOI: 10.62823/IJEMMASSS/7.1(II).7265

DOI URL: https://doi.org/10.62823/IJEMMASSS/7.1(II).7265


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