एक प्रश्न आश्चर्यजनक है कि शिक्षा क्या है? शिक्षा के उल्लेख में विभिन्न विचार उपजते हैं। उत्पत्ति तथा स्पष्टता की दृष्टि से संस्कृत भाषा में ‘शिक्षयते इति शिक्षा‘ बताया गया है। शिक्षा एक अवर्णनीय संपदा है जिसके संपर्क से मानव पूरा विकास करता है। शिक्षा एक स्रोत है जो व्यक्तियों के अंदर निहित भावनाओं को प्रकट कर उसकी प्रकृति को प्रकाशित करती है। अप्रकट ज्ञान शिक्षा की मदद से विकसित होकर मानव और समाज को लाभान्वित करता है। शिक्षा के द्वारा मनुष्य अपना चहुंमुखी विकास कर सकता है।