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मानसिक स्वास्थ्य और योग

हेमराज पलसानिया एवं डॉ. प्रतिभा किरण (Hemran & Dr. Pratibha)

आज की भागमभाग भरी जिन्दगी में हम थकान, बेचैनी, चिन्ता, तनाव, अनिद्रा, अवसाद, क्रोध, ईर्ष्या तथा चिड़चिड़ापन आदि मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं, जो हमारे व्यक्तित्व पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं परिणामस्वरुप हम सामाजिक समायोजन कर पाने में विफल होते जा रहे हैं। योग मन, शरीर तथा चेतना के बीच उचित तालमेल रखने की एक वैज्ञानिक जीवन शैली है। योग चित्त की चंचलता को दूर कर एकाग्रता और ध्यान की क्षमता को बढ़ाता है, इससे चेतना, भावना और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है फलतः आरोग्य प्रदान करने वाली जीवनदायनी ऊर्जा के प्रवाह में सुधार होता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए चिकित्सापूरक के रूप में योग एक दुष्प्रभावमुक्त, स्थायी व सरल उपचार है। योग आत्मविश्वास, शान्ति, धैर्य, एकाग्रता आदि प्रदान कर शरीर, मन और चेतना के विकास के लिए एक साथ कार्य करता है। प्रस्तुत शोध पत्र का उद्देश्य विवरणात्मक विधि द्वारा मानसिक स्वास्थ्य के सन्दर्भ में योग की महत्ता का प्रतिपादन करना है।

शब्दकोशः मानसिक स्वास्थ्य, योग, समायोजन, चेतना, जीवन शैली, तनाव।
 


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