यहां हम ग्रामीण विकास की बात कर रहे हैं। गाँव का उदय, इतिहास में कृषि अर्थव्यवस्था के उदय के साथ जुड़ा है। हाल के आवष्किार के कारण ही मनुष्य स्थायी रूप से कृषि का विकास कर पाया जो कि खाद्यान्न की व्यवस्था का मूल स्रोत है। ग्रामीण विकास आमतौर पर अपेक्षाकृत पृथक व कम आबादी वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगो की आर्थिक खुशहाली से संबद्ध जीवन स्तर में सुधार की प्रक्रिया को दर्शाता है। कुछ विद्वानों ने ग्रामीण विकास की निम्न परिभाषाऐं दी हैंः- ग्रामीण विकास को शाब्दिक रूप में इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है ग्रामीण क्षेत्र का चहुंमुखी विकास , ऐसा विकास जिससे वहाँ की जनता का शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं सामाजिक विकास हा सके। विश्व बैंक के अनुसार वह व्यूह रचना जिससे ग्रामीण जनता का सामाजिक व आर्थिक विकास हो ग्रामीण विकास कहलाता है। ‘‘ रॉबर्ट चेम्बर्स के अनुसार ग्रामीण विकास वह पद्धति है जिसके द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के निर्धन और गरीब लोगो की सहायता की जाती है। जिससे अधिक लाभों की पूर्ति और नियंत्रण से ग्रामीण विकास हो सके। लघु कृषक, सीमांत कृषक, खेतीहर मजदूर और श्रमिक वर्ग के लोग इसमें शामिल किये जाते हैं ’’।