ISO 9001:2015

प्रतापगढ़ जिले में जल संरक्षण का प्रबन्धन एवं नवीनीकरण

मनोज कुमार कारपेन्टर एवं डॉ. चन्द्रमोहन राजोरिया (Manoj Kumar Carpanter & Dr. Chandra Mohan Rajoriya)

जल एक अति महत्वपूर्ण संसाधन हैं जल ही जीवन है तथा जल का अन्य कोई विकल्प नहीं है। इसका उपयोग न केवल पीने के लिए किया जाता है बल्कि इसके विविध उपयोग हैं। सम्पूर्ण जीव जगत के लिए जल उतना ही आवश्यक है जितना भोजन और वायु है। बिना जल के पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जल संसाधन के संबंध में हमारा देश संसार के सम्पन्न देशों में गिना जाता रहा है। हमारे यहा संसार की बड़ी-बड़ी नदियां बहती है परन्तु निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या तथा जल के उचित प्रबंध के अभाव के कारण जल आज एक दुर्लभ संसाधन बन गया है। भारत में विश्व की 16 प्रतिशत आबादी निवास करती है परन्तु भारत में विश्व का केवल 4 प्रतिशत जल ही उपलब्ध है। राज्य में तो हालत इससे भी बदतर है। यहां देश की कुल जनसंख्या की 5.5 प्रतिशत आबादी निवास करती है। जबकि देश के कुल जल का केवल 1 प्रतिशत जल ही राज्य में उपलब्ध है। जिले की स्थिति राज्य के अन्य भागों की अपेक्षा कुछ बेहतर है परंतु वर्षा की अनियमितता तथा अनिश्चितता के कारण तथा जल संसाधन के उचित प्रबंधन के अभाव में क्षेत्र की स्थिति भी लगातार खराब हो रही है। जल का महत्व सभी स्थानों पर समान रूप से है शहरी क्षत्रों में इसकी उपयोगिता पेयजल के लिए है तथा ग्रामीण क्षेत्रों में इसका महत्व पेयजल के साथ-साथ कृषि, बागवानी तथा पशुधन आदि के लिए है कृषि क्षेत्र जल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है।

शब्दकोशः जल संरक्षण, जनसंख्या, कृषि, जल संसाधन, भूगर्भिक जल।
 


DOI:

Article DOI:

DOI URL:


Download Full Paper:

Download