निराला का जन्म बंगाल में मेदिनीपुर जिले के महिषादल गाँव में हुआ था। उनका पितृग्राम उत्तर प्रदेश का गढ़कोला (उन्नाव) है। उनके बचपन का नाम सूर्य कुमार था। बहुत छोटी आयु में ही उनकी माँ का निधन हो गया। निराला की विधिवत स्कूली शिक्षा नवीं कक्षा तक ही हुई। पत्नी की प्रेरणा से निराला की साहित्य और संगीत में रुचि पैदा हुई। सन् 1918 में उनकी पत्नी का देहांत हो गया और उसके बाद पिता, चाचा, चचेरे भाई एक-एक कर सब चल बसे।‘एक सच्चा कलाकार अपने युग अभाव की आंधियों के गर्भ से जन्मता है, विषय परिस्थितियों की गोद में पलता है और काल की कठोर छाती पर अपनी जीवन यात्रा के अमिट लेख खोदकर मरता है। यहाँ उपर्युक्त पंक्तियाँ निराला के यशस्वी गाथा का चित्रांकन हमारे समक्ष प्रस्तुत करती हैं, जिसे पढ़ने मात्र से किसी भी पाठक के मानस पटल पर निराला के व्यक्तित्व की स्मृतियाँ अनायास ही उभर आती हैं। लेकिन यहाँ पर निराला के स्मृति मात्र को प्रस्तुत करना मेरा /येय नहीं है वरन् उनके विराट आकृति को प्रस्तुत करना है। जिससे निराला अपने सम्पूर्ण जीवन वृत्त के साथ हमारे समक्ष उपस्थित हों ।
शब्दकोशः साहित्यिक जीवन, पितृग्राम, स्मृतियाँ, स्कूली शिक्षा, मानस पटल।