ISO 9001:2015

प्राचीन भारत में शिक्षा का स्वरूप

डॉ. सुमेर (Dr. Sumer)

मनुष्य के जीवन में आ/यात्मिक और बौद्धिक उत्कर्ष शिक्षा के मा/यम से ही संभव माना गया है। शिक्षा से ज्ञान का उदय होता है और ज्ञान से मनुष्य जीवन आलोकित होता है। ज्ञान द्वारा मनुष्य शिल्प में निपुण होता है। प्राचीन भारत में तीन लोकों की कल्पना की गई है। मनुष्य लोक, पितृलोक और देवलोक। मनुष्य लोक पुत्र द्वारा, पितृलोक यज्ञ द्वारा और देवलोक विद्या द्वारा जीता जा सकता है। 


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