भारत में कृषि का सदैव से ही एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। वर्तमान समय में भी कुल कार्यषील जनसंख्या का 50 प्रतिषत से अधिक भाग कृषि तथा इससे सम्बन्धित विभिन्न कार्यों में संलग्न है। कृषि नीति भी पिछले दषकों से ही खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर केन्द्रित रही है। ऐसे लोगों का कृषि जीवन जीने के तरीके और उसकी सतत् एकमात्र सर्वाधिक महत्वपूर्ण आजीविका के रूप में होने की वजह से है। जब कृषि भूमि का उपयोग मानव अपनी आवष्यकतानुसार कर रहा है तो उस भू-भाग के लिए कृषि भूमि उपयोग शब्द का प्रयोग होगा अर्थात् भूमि उपयोग में भू-भाग का प्राकृतिक स्वरूप क्षीण हो जाता है, तथा मानवीय क्रियाओं का योगदान महत्वपूर्ण हो जाता है, तभी इसे भूमि उपयोग की संज्ञा देते हैं।