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भारत में नारी सशक्तिकरण और लोहिया के विचार

हेमलता रौतवार (Hemlata Rotwar)

डॉक्टर राम मनोहर लोहिया भारत के प्रमुख आधुनिक भारतीय राजनीतिक चिंतक थे, उन्होनें भारत के विभिन्न स्वाधीनता आन्दोलन और समाजवादी आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। गाँधीवाद से प्रेरित और भारतीय समाजवाद की आधारशिला रखने वाले लोहिया का जीवन पीड़ित, शोषित और दुखी जनता को समर्पित था। वे जीवन पर्यंत प्रयासरत रहे की भारतीय समाज की रूड़ियों को समाप्त कर आम व्यक्ति की सामाजिक आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सके। भारतीय समाज का आधा हिस्सा जो हमेशा से पीड़ित और शोषित रहा है के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए उन्होने अपना जीवन समर्पित किया। नारी सशक्तिकरण के विभिन्न पहलुओं को ना केवल प्रतिस्थापित किया बल्कि तात्कालिक समाज उन मूल्यो को जीवन में उतारे उसके लिए अथक प्रयास भी किये। किन्तु वर्तमान दौर में भी नारी सशक्तिकरण का वो पौधा व्रक्ष नहीं बन पाया है। लोहिया जी ने भारतीय नारी के लिए सम्पूर्ण बराबरी पर ज़ोर दिया जिसमे मानसिक,सामाजिक,राजनीतिक,आर्थिक बराबरी शामिल है। नारी सशक्तिकरण का प्रथम और सबसे प्रमुख सोपान है मानसिक बराबरी। जब तक समाज में नारी के प्रति भेदभाव की मानसिकता खतम नहीं होगी तब तक प्रयास सार्थक परिणाम नहीं दे पाएंगे। लोहिया जी ने नारी उत्थान हेतु नर नारी समानता के हर पहलू पर मौलिक विचार दिये है इन विचारों को धरातल पर उतारकर ही हम नारी सशक्तिकरण के पौधे को वट व्रक्ष बना सकते है जिसकी शीतल छाया में ही भारतीय समाज उन्नति कर पायेगा।

शब्दकोशः समाजवाद, सशक्तिकरण, एनसीआरबी, ‘गरिमा के अधिकार‘, स्वतन्त्रता।
 


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