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गठबन्धन की राजनीति में 2013 से क्षेत्रीय दलों की भूमिकाः (राजस्थान, हरियाणा एवं पंजाब के सदंर्भ में एक तुलनात्मक अ/ययन)

भारत एक प्रजातान्त्रिक देश है। प्रजातान्त्रिक व्यवस्था में जनता द्वारा जनता के कल्याण के लिए एवं जनता द्वारा शासन किया जाता है। प्रजातान्त्रिक शासन प्रणाली में सभी नागरिकों को यह अधिकार होता हैं कि उनकी आवाज को सुना जाए चाहे वो किसी भी धर्म, जाति, लिंग या क्षेत्र के हो। भारत में संघीय शासन प्रणाली अपनाई गई है। संघीय शासन प्रणाली में नीतियां एवं कार्यक्रम राष्ट्रीय हितों को /यान में रखकर बनाए जाते है या उन पर कम /यान दिया जाता है। ऐसी परिस्थिति में उन क्षेत्रीय समस्याओं या मुद्दों को आवाज देने और उन पर राष्ट्र का /यान आकर्षित करने के लिए क्षेत्रीय दलो का उदय होता है। राजनीतिक दल को लोगों के एक ऐसे संगठित समूह के रूप में समझा जा सकता हैं जो प्राप्त चुनाव लडने और सरकार में राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से काम करता है। समाज के सामुहिक हित को /यान में रखकर यह समूह कुछ नीतियाँ और कार्यक्रम निश्चित करता है। प्रजातान्त्रिक शासन प्रणाली में क्षेत्रीय दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह न केवल क्षेत्रीय समस्याओं कि तरफ देश का /यान आकर्षित करती है वरन् उसके निवारण के लिए प्रयास भी करती है। भारत में बहुदलीय दल व्यवस्थ्या है जिसमें छोटे क्षेत्रीय दल अधिक प्रबल है। राष्ट्रीय दल वे है जो चार या अधिक राज्यों में मान्यता प्राप्त है। उन्हें यह अधिकार भारत के चुनाव आयोग द्वारा दिया जाता हैं जो विभिन्न राज्यों में समय समय पर चुनाव परिणामों की समीक्षा करता है। भारत के संविधान के अनुसार भारत में संघीय व्यवस्था हैं जिस में नई दिल्ली में केन्द्र सरकार है। इसलिए भारत में राष्ट्रीय व राज्य (क्षेत्रीय), दलों का वर्गीकरण उनके क्षेत्र में उनके प्रभाव के अनुसार किया जाता हैं।

शब्दकोशः राजनीतिक दल, एकदलीय व बहुदलीय व्यवस्था, गठबन्धन सरकारें, राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दल।


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