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म/यप्रदेश के धार जिले में कृषि आधारित लघु एवं म/यम उद्योगों की संभावनाएं एवं चुनौतियाँः एक विष्लेषणात्मक अ/ययन

डॉ. भारतसिंह गोयल एवं नरसिंह भिड़े (Dr. Bharat Singh Goyal & Narsingh Bhide)

भारत में प्राचीन काल से उद्योग विकसित किये गये जिसके अंतर्गत कृषि पर आधारित उद्योग भी रहे। कुछ वर्षों के बाद अंग्रेजी शासन काल में बड़े-बडे़ उद्योग जैसे चाय, काफी, जूट एवं नील इत्यादि की कोठियों के उद्योग अंग्रेजी कम्पनियों द्वारा शुरू किये गये। 19वीं सदी के अंत में भारत में वस्त्र, जूट के उद्योगों को स्थापित किया गया। कृषि आधारित लघु एवं म/यम उद्योगों का भारत की औद्योगिक संरचना में महत्वपूर्ण भाग है। इन उद्योगों का सकल घरेलू आय, निर्यात आय एवं भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान रहा। म.प्र. औद्योगिक विकास निवेश एवं आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। भारत में इन उद्योगों से करोड़ों लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है। भारत की आर्थिक, सामाजिक एवं भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार कृषि आधारित लघु एवं म/यम उद्योगों में प्रगति हुई। इन उद्योगों का उच्च स्थान स्वतंत्रता के पश्चात प्रत्येक योजनाकाल में हुआ। सरकार ने 1991 में एवं इसके बाद उद्योगों के विकास के लिए अनेक नीतियां एवं प्रयास किये। इन उद्योगों की प्रतिस्पर्धा बड़े उद्योगों की तुलना में तीव्र हुई। परिवर्तन उदारवादी एवं प्रतिस्पर्धात्मक आर्थिक माहौल में इन उद्योगों हेतु कृषि विकास पर अधिक बल दिया गया जिससे कृषि आधारित लघु एवं म/यम उद्योगों के विकास में तीव्रता मिली। इन उद्योगों में प्रायः शक्ति परिचालित मशीनों और आधुनिक उत्पादन विधियों का उपयोग किया जाता है। ये उद्योग व्यापक बाजार की मांग की पूर्ति करते हैं। अतः प्रस्तुत शोध पत्र में धार जिले के कृषि आधारित लघु एवं म/यम उद्योगों की संभावनाएं क्या हैं और उनमें आने वाली चुनौतियों का अ/ययन किया गया है। अतः इनका प्रस्तुत शोध पत्र में समस्या एवं समाधान के निष्कार्ष निकाले गये हैं।

शब्दकोशः अर्थव्यवस्था, प्रतिस्पर्धा, निवेश, योजनाकाल, रोजगार, औद्योगिक, संरचना।
 


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