म/य प्रदेष के आर्थिक विकास में लघु उघम क्षेत्र का अतुलनीय योगदान रहा हैं। इस क्षेत्र के अंतर्गत लगभग 50 प्रतिषत औघोगिक इकाइयां आती है। लघु उघम क्षेत्र द्वारा लगभग 5000 से भी अधिक पारंपरिक एवं हाईटेक वस्तुओं का उत्पादन होता है। इन इकाइयों द्वारा राज्य के 40 प्रतिषत व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त होता है। उघमषीलता को बढावा देने, रोजगार प्रदान करने, एवं नवप्रवर्तनषीलता को प्रोत्साहित करने में यह क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत की केन्द्र एवं म/यप्रदेष सरकार ने अर्थव्यवस्था में लघु उघम का महत्व स्वीकारते हुए इसके विकास हेतु उन्हें प्रेरित करने हेतु अनेक नीतिगत कदम उठाये गए हैं। इसमें प्रमुख रुप से प्रौघेगिकी उन्नयन हेतु योजनाएॅ, गुणवत्ता मे सुधार हेतु नीतियां ऋण पाने हेतु अनेक योजनाए एवं उत्पादों को बाजार में विक्रय हेतू नीतियां षामिल है। भारत की केन्द्र तथा राज्य सरकारें लघु उघम के विकास हेतु विभिन्न संस्थागत एवं नीतिगत प्रयास करती है। ये नीतियां लघु उघोगों के वैष्विक चुनौतियों का सामना करने की क्षमता प्रदान करती है। प्रस्तुत शोधपत्र में म/यप्रदेष के इन्दौर जिले में लघु उघोगों की क्या संभवनाएं है एवं इसके सामने आने वाली चुनौतियों का अ/ययन किया गया है। उघमियों की व्यापार संचालन में आने वाली समस्याओं और समाधान को प्रस्तुत शोधपत्र में दर्षाया गया है एवं निष्कर्ष निकाले गए है।
शब्दकोशः लघु उघोग, आर्थिक विकास, श्रमषक्ति एवं रोजगार।