पानी जीवन का आधार है। प्राचीन मानव ने इसकी महत्व को समझा और ईश्वर की तरह इसकी आराधना की ‘‘जहाँ जल है वहाँ जीवन है, प्राण और स्पन्दन है, गति है, सृष्टि है और जन जीवन का मूलाधार है।’’ प्राचीन समय में सभी राजपूत शासकों ने जल संरक्षण हेतु अनेक कार्यों को सम्पादित करवाया। ढूँढ़ाड जनपद के शासकों, सामंतों (जागीरदारों), महारानियों, पासवानों तथा समृद्ध लोगों और महिलाओं एवं बनजारों द्वारा समय-समय पर धार्मिक और कलात्मक गतिविधियों के केन्द्र के रूप में तालाब, कुएँ, बावड़ी आदि बनवाने के प्रमाण मिले हैं।
शब्दकोशः बावड़ियाँ, बनजारे, सामन्त, जागीरदार, जनपद।