भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में संसदात्मक शासन पद्धति को अपनाया गया है। संसदात्मक लोकतन्त्र की विशेषता के साथ बहुदलीय व्यवस्था को भी अपनाया है। भारत में बहुदलीय व्यवस्था होने से निर्वाचन में अनेक राजनीतिक दल तथा निर्दलीय प्रत्याशी भाग लेते हैं। जैसे- कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी दल, आप पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, साम्यवादी दल, निर्दलीय आदि-आदि। संसदीय परम्पराओं के अनुसार आम चुनाव के पश्चात संसद के निम्न सदन मंे जिस राजनीतिक दल का बहुमत होता है, उसी दल के नेता को सरकार (मंत्रिमण्डल) बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है। लेकिन जब लोकप्रिय सदन के चुनाव मे किसी एक राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं होता, त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति बनती है, तब राजनीतिक दलों और दलीय नेताओं के बीच गठबंधन को जन्म देने की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है और गठबंधन राज्य के प्रधान को अपना बहुमत से आश्वस्त कर देता है, उस गठबंधन के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है और गठबंधन का नेता, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री मिलीजुली सरकार का गठन करता है। गठबंधन सरकार एक ऐसी सरकार होती है, जिसमें कम से कम दो या दो से अधिक संख्या 3, 5, 8, 10, 15, 20 या इससे भी अधिक राजनीतिक दल हो सकते हैं। ये गठबंधन चुनाव के पूर्व या चुनाव के पश्चात् बना सकते हैं। गठबंधन एक अस्थायी प्रबन्ध होता है जो सत्ता व शक्ति प्राप्त करने के लिए बनते हैं। इसमें कठोर सिद्धान्तवादी राजनीति के लिए कोई स्थान नहीं होता। गठबंधन सरकार की संकल्पना और प्रबंधन में मूलभूत विकासशीलता होती है। ऑग के अनुसार- ‘‘मिलीजुली सरकार एक ऐसे सहयोगी प्रबंध का नाम है, जिसमें विभिन्न सदस्य सरकार के गठन या मंत्रिमण्डल के निर्माण के लिए एक हो जाते है।’’ ‘‘मिलीजुली सरकार राजनीतिक समुदायों तथा शक्तियों का गठजोड़ है जो अस्थायी और कुछ विशिष्ट प्रयोजनो ंके लिए होता है। राजनीतिक दलों का यह मिलन सरकारों के निर्माण या उनकी रक्षा करने के लिए बनाया जाता है। जिन दलों के सहयोग के फलस्वरूप संयुक्त सरकारों का निर्माण होता है वे एक बुनियादी राजनीतिक कार्यक्रम पर एकमत होते हैं।’’’