ISO 9001:2015

किसान आत्महत्या और मानवाधिकार: एक विश्लेषण

प्रताप सिंह राठौड़ एवं प्रोफेसर जगमाल सिंह शेखावत (Pratap Singh Shekhawat & Prof. Jagmal Singh Shekhawat)

कृषि किसी भी राष्ट्रको जिन्दा रखने की बुनियाद होती है। कृषि में प्रकृति का महत्व, प्रकृति किस प्रकार कृषि को प्रभावित करती है। भारती की अर्थव्यवस्था में लिए गए निर्णयों ने कृषि क्षेत्र को किस प्रकार एक गैर मुनाफे के कार्य में तब्दील कर किसान आत्महत्या को बढ़ावा दिया। साथ ही वैश्वीकरण और किसान आत्महत्या के आपसी सम्बन्धों को जानने का प्रयास किया गया है। मानवधिकार द्वारा किसान आत्महत्या को रोकने के लिए उठाये गये कदम साथ ही किसान आत्महत्या का कारण समझने तथा इसका उचित समाधान निकालने का प्रयास किया गया है।

शब्दकोशः आत्महत्या, वैश्वीकरण, अवसाद, अप्राकृतिक।


DOI:

Article DOI:

DOI URL:


Download Full Paper:

Download