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राजस्थान में सूक्ष्म उद्यमों को बढावा देने में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की भूमिका

संदीप आर्य एवं विकास बैराठी (Sandeep Arya & Vikas Berathi)

सूक्ष्म, लघु और म/यम उद्यम क्षेत्र सामान्यता हमारी वित्तीय प्रणाली की वृद्धि और विकास में प्रमुख भूमिका निभाता है। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार तेजी से  औद्योगिकीकरण के लिए एमएसएमई क्षेत्र के विस्तार पर जोर दे रही है। भारत ने शुरुआत से ही लघु और म/यम उद्यमों को उच्च प्राथमिकता दी है और इन उद्यमों को व्यवहार्य, जीवंत बनाने के लिए समर्थन नीतियों का पालन किया है और समय के साथ, ये सकल घरेलू उत्पाद में प्रमुख योगदानकर्ता बन गए हैं। इसके अलावा, एमएसएमई क्षेत्र ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में उदारीकरण के दौर में कडी प्रतिस्पर्धा का सामना किया है और उसे पार किया है। इस क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन के लिए पहली औद्योगिक नीति और सूक्ष्म, लघु और म/यम उद्यम विकास अधिनियम के बीच नीतियों और कार्यक्रमों में कई अधिनियमों और संशोधनों का सामना किया है। रणनीति प्रस्ताव में विभिन्न कमियों, खराब बुनियादी ढांचे, अपर्याप्त प्रशिक्षण, अपूर्ण ऋण सुविधा, उच्च बीमारी दर आदि के बाद भी इसने भारत के सामाजिक-आर्थिक योगदान में एक प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त किया है। इस शोध का उद्देश्य खादी उद्योग प्रदर्शन और ग्रामोद्योग प्रदर्शन के बीच सूक्ष्म और लघु उद्योग के मा/यम से खादी और ग्रामोद्योग आयोग के प्रदर्शन चर की गणना और तुलना करना है, साथ ही चर के बीच अंतरसंबंध और चर के बीच कार्यात्मक संबंध की जांच करना है।

शब्दकोशः रोजगार, उत्पादन, विक्रय, एमएसएमई, केवीआईसी।
 


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