विकास के बिना किसी भी राष्ट्र की संकल्पना कर पाना असंभव है क्योंकि वास्तव में विकास ही उस राष्ट्र की नींव होता है। विकास की इस नींव को मजबूत करने के लिए उस राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक का सशक्त होना अति आवश्यक है। इस तथ्य के महत्व को जानते हुए भी हमारे समाज में लैंगिक असमानता की जड़े बहुत गहराई तक विद्यमान हैं। विभिन्न गतिविधियों के मा/यम से वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण योगदान देने के बावजूद भी महिलाऐं दुनिया के सबसे आर्थिक रूप से वंचित समूहों में से एक हैं। राष्ट्र के विकास में किए गए उनके योगदान को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। शायद यही कारण है कि आज हमें अलग से महिला सशक्तिकरण के नारे को मुखर करने की आवश्यकता हुई है।
शब्दकोशः महिला सशक्तिकरण, विकास।