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उच्च शिक्षा के मा/यम से ग्रामीण महिला सशक्तीकरण का एक समाजशास्त्रीय अ/ययन

डॉ. करूणाकर सिंह एवं रिंकू मीना (Dr. Karunakar Singh & Rinku Meena)

भारत गांवों का देश है, और भारतीय महिलाओं को देवी के रूप में माना जाता है, लेकिन उनकी वर्तमान स्थिति हर तरह से बहुत खराब है। वे जन्म से ही समस्याओं से जूझ रही हैं। परंपराएं और रीति-रिवाज भी महिलाओं के खिलाफ हैं। कई एनजीओ और सरकारें उनके जीवन के उत्थान के लिए प्रयास कर रही हैं, लेकिन ये प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। उच्च शिक्षा उनके विकास और सशक्तीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा है। फिर भी, तथ्य यह है कि हमारा देश दुनिया में सबसे अधिक निरक्षर लोगों का घर है। भारत की लगभग एक-तिहाई आबादी वर्तमान में कार्यात्मक रूप से निरक्षर है, और पूरी वयस्क महिला आबादी का लगभग 50 प्रतिशत पढ़ या लिख नहीं सकती है। निरक्षरता की दर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से महिलाओं में अधिक है। महिलाओं की उच्च शिक्षा किसी भी देश के बड़े पैमाने पर सफल विकास के लिए महत्वपूर्ण है। भारत में, हालांकि उच्च शिक्षा के संदर्भ में लैंगिक समानता पर बहुत जोर दिया जा रहा है, शिक्षा तक पहुंच में भेदभाव मौजूद है। महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच में ग्रामीण और शहरी विभाजन है। इस पत्र में इन सभी समस्याओं पर चर्चा की गई है और इनसे निपटने के लिए उपयुक्त सुझाव दिए गए हैं।


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