1857 की क्रान्ति में राजस्थान की भूमिका

1857 की क्रान्ति जिसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में जाना जाता है, भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ विद्रोह का वर्णन करती है, जिसमें सिपाहियों, किसानों और सामन्तों सहित विभिन्न समूह ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ विद्रोह करने के लिए एक साथ आये। ब्रिटिश सरकार की विस्तारवादी नीतियों और भारत के आर्थिक शोषण के फलस्वरूप भारत के लोगों में ब्रिटिश सरकार के प्रति असंतोष पनपा। विद्रोह से राजस्थान भी अछूता ना रहा। नसीराबाद से होता हुआ विद्रोह राजस्थान के अनेक स्थानों को प्रभावित करता हुआ दिल्ली की ओर बढ़ा। विद्रोह का प्रमुख कारण सैनिकों से एनफील्ड रायफल को प्रयोग करवाना था जिसकी कारतूस गाय और सूअर की चर्बी से बनी थी। जिसका उपयोग करने से सैनिकों ने मना कर दिया। दूसरी तरफ असंतुष्ट सामन्तों ने भी अपनी खोई हुई जमीन को पुनः प्राप्त करने का प्रयास किया। कमजोर नेतृत्व, पारस्परिक एकता का अभाव, शासकों द्वारा अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादार बने रहना आदि अनेकों कारणों से क्रान्ति सफल ना हो सकी। किन्तु 1857 की क्रान्ति से राजस्थान में राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता को बढ़ावा मिला।

शब्दकोशः विद्रोह, साम्राज्यवादी, पॉलिटिकल एजेन्ट, रेजीडेन्सी, लीजन, बैरक, ठाकुर, रियासत, सामन्त।


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