दूधनाथ सिंह के कथा साहित्य का मनोविश्लेषणात्मक स्वरूप

दूधनाथ सिंह का जन्म 17 अक्टूबर 1936 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ। वे एक किसान परिवार से नाता रखते हैं। उनका बचपन कठिनाइयों में व्यतीत हुआ। उनकी आरंभिक शिक्षा गांव में हुई, उन्होंने हिंदी साहित्य में एम. ए. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया। कलकत्ता में अध्यापन कार्य से आजीविका की शुरुआत हुई। बाद में वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्राध्यापक पद पर नियुक्त हुए और हिंदी विभाग में अपनी सेवा दी। साठोत्तरी पीढ़ी के अग्रिम कहानीकारों में शुमार दूधनाथ सिंह ने उपन्यास, कहानी, कविता, नाटक, आलोचना आदि विधाओं में योगदान किया। उनका रचना- संसार मानव धर्मी और यह मानव धर्मिता वास्तविक अंतर्विरोधों के बड़े क्षेत्र से उत्पन्न न होकर लेखक के अपने अनुभव क्षेत्र के समूह का प्रतिफल है। उन्होंने जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अपूर्व योगदान दिया। दूधनाथ सिंह ऐसे साहित्यकार रहे, जिन्होंने हिंदी की तमाम विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई है।


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